Wednesday, September 06, 2006

सोशलाइज़, सोशलाइट, और सोशल ऐक्टिविस्ट...

शब्दों और भावनाओं का
यूँ कचूमर न बनाईये
कृपया इनकी गरिमा को बचाईये
जिसे हम भावनात्मक
मिलना-जुलना कहते हैं
उसे सोशलाइज़ मत बनाईये
यह सोशलाइट क्या बला है
और इनसे समाज का कैसा भला है
बिना कुछ समाज का

भला किये ये सोशल भी हैं
और लाइमलाइट में भी हैं
लगता है आप समझे नहीं

यह सोशलाइट कौन हैं
और कहाँ पाये जाते हैं
मुझे भी नहीं मालूम था
लेकिन ये देर रात वाली
फ़ेशन पार्टियों में पाये जाते हैं
ये समाज को जितना देते हैं
उससे कई गुना अधिक चट कर जाते हैं
आईये ऐसा समाज बनायें

जहाँ सोशलाइट नहीं
सोशल ऐक्टिविस्ट को तरजीह मिले
अब यह मत पूछिये की

यह सोशल ऐक्टिविस्ट कौन है
सोशलाइट को जानते हैं

तो सोशल ऐक्टिविस्ट को
सम्मान से पास में बिठाईये
आज समाज को मेधा पाट्कर जैसे
सोशल ऐक्टिविस्ट की सबसे अधिक जरुरत है
आईये इनके कंधों से कंधा मिलाये
और एक बेहतर भारत बनायें

2 comments:

  1. अच्छा प्रयास है रीतेश. लिखते रहो

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  2. राकेश जी,

    आपके प्रोत्साहन का बहुत धन्यवाद !!!!

    रीतेश

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आपकी टिप्पणी और उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार....