Saturday, September 16, 2006

कविता परवान चढ़ेगी ....

एक उभरते कवि ने एक कविता गढ़ी ।
बदले मैं उसे एक प्रतिक्रिया कुछ यूँ मिली ।
कृपया अपनी कविता का स्तर उठाइये ।
और साथ-साथ उसका वजन भी बड़ाइये ।
सम्मान पूर्वक कवि ने उत्तर दिया ।
श्रीमान आपने स्थिति को बिलकुल सही पढ़ा है ।
किन्तु यह कवि कुछ दिनों से ही कविता से जुड़ा है ।
आप काफ़ी समय से कविता के रसपान में जुटे हैं ।
और अभी तो मेरे दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं ।
आपके प्रोत्साहन से कविता सीड़ी दर सीड़ी आगे बढ़ेगी ।
फ़िर कहीं जाकर परवान चढ़ेगी ।

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