Tuesday, October 17, 2006

पापा को कविता भेजी....

नये कवि के रूप में हमें बहुत प्रोत्साहन मिला हेजी
उत्साहित हो हमने पापा को कविता भेजी
कविता पढ़कर पापा बोले बेटा बड़ा आनंद आया है

और तुमने सिर हमारा फ़ख्र से ऊँचा उठाया है
मेंने कहा यह सुंदर बगीचा चाचा और आपने लगाया है
हम तो सिर्फ़ इस बगीचे के फ़ूल हैं
चाची और मम्मी ने मिलकर इसे सींचा है
हम तो सिर्फ़ उनके चरणो की धूल हैं
हमारे छोटे इस उपवन के सबसे सुंदर फ़ूल हैं
अपनी ख़ुशबू से इन्होंने बड़ों को लजाया है
बड़ों की क्या बात कहें वे इस मधुवन के सशक्त प्रहरी हैं
उनकी छाया में हर फ़ूल उन्मुक्त खिलखिलाया है
ईश्वर हमेशा इस बगीचे पर मेहरबान हुए हैं

जीवन के हर मौसमी चिट्ठे हमने यहीं बुने हैं
हम तो सिर्फ़ छोटों और बड़ों के बीच की कड़ी बने हैं

तमन्ना है कविता हमें बेहतर इंसान बनाये
गर चले अकेले तो क्या चले हैं हम

मिटा गिले कुछ यूँ चलें की कारवाँ बने

4 comments:

  1. Guptaji,
    Bhai log, Guptaji ki tarif to hum phone par bhi kar sakte hai lekin yahan likhne ka matalb sirf yahi ke jo unki kavita ka raspan karte hai woh jane ke woh kaise insan hai. Unki kavita ki tarah (Guptaji)woh khud bhi ek nirmal, khushhal auur nek dil insan hai. Auur sirf Guptaji hi kyon unke family ke sare sadasy aise hi hai. Guptaji ko hum college ke zamane se jante hai, eng. sath mai ki hai. College se lekar aajtak unke vicharo ko koi hava badal nahi payee hai. Auur yeh mai dave ke sath keh sakta hun ke jo bhi unhone likha hai woh unke man ka bhav hai. Shayad auur kafi kuch likh sakta hun lekin shayad gupta ji ke samne yeh waman hi rahega.
    Ek sher pesh karta hun..
    "Kis mai hai zurrat jo kate hamare par,
    Hum woh parinde hai jo paron se nahi jigar se uda karte hai"
    -- Jay Hind

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  2. जब आप ऐसे देश में हैं जहां परिवार आये दिन टूटते रहते हैं तब ऐसी कविता लिखना जिसमें संयुक्त परिवार धड़क रहा है इस बात का परिचायक है कि आपके मन में अपने अतीत की तमाम खुशनुमा यादे हैं. अच्छा लगा इसे पढ़कर!

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  3. हम जानते हैं "ठाकुर" तुम कौन हो !!!!!
    तुम्हारी आत्मयी टिप्पणी का बहुत धन्यवाद
    आपसे बाकी बात फ़ोन पर करेगें ।

    अनूप जी,
    बहुत अच्छा लगा यह जानकर की आपको कविता अच्छी लगी
    कृपया ऎसा ही स्नेह बनाये रखें ।
    बहुत धन्यवाद !!!

    रीतेश गुप्ता

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  4. बहुत खूब रीतेश भाई, अच्छी लगी आपकी कविताई,
    शब्दों भावों ने मिलकर, सुन्दर तस्वीर है बनाई।

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आपकी टिप्पणी और उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार....