Thursday, February 22, 2007

कैसे दूँ तुम्हें बधाई मैं....

अपने चिंतन को जीते हो
कितनी तुम पीड़ा सहते हो
कितना तुम अंदर मरते हो
तब जाकर कविता गढ़ते हो
ऎसे ओज पूर्ण भावों पर

गहन वेदना में प्रसूत सी
मुख से फ़ूट पड़ी रचना पर
श्रद्धा से झुकता है यह मन

और देता तुम्हें सलामी है
कैसे दूँ तुम्हें बधाई मैं
कैसे दूँ तुम्हें बधाई मैं

6 comments:

  1. कैसे दूँ तुम्हें बधाई रे......


    --काहे इतना परेशान हो, एक बधाई देने के लिये. चिंता मत करो, बस कहा दो, बहुत खुब और हो गई कविता के लिये बधाई. :)

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  2. अच्छी रचना है । आपको बधाई ।
    घुघूती बासूती
    ghughutibasuti.blogspot.com
    miredmiragemusings.blogspot.com/

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  3. घुघूती जी,
    आप हमारे चिट्ठे पर आये ...और कविता पसंद आई...बहुत धन्यवाद !!

    लालाजी,
    आपने तो अंदर तक हँसा दिया ..धन्यवाद !!

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  4. आपकी काविता बहुत अच्छी लगी.
    आपको बधाई देना चाहती हूं
    दो शब्द कहना चाहती हूं
    " वाह! बढी़या"

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  5. सोनल जी,

    आप हमारे ब्लाग पर आई...जानकर अच्छा लगा की आपको कविता अच्छी लगी...धन्यवाद

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  6. बहुत छोटे में अच्छी और सार गर्भित कहा है..बधाई

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आपकी टिप्पणी और उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार....